Saturday, April 1, 2023

विश्व ऑटिज्म(स्वपरायण) जागरूकता दिवस // ऑटिज्म की परिभाषा //दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 // अमेरिकन दिव्यांगता अधिनियम (1990) //ऑटिज्म के सामान्य लक्षण



ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनायेंगे|

ऑटिज्म को सक्षम व साक्षर  बनायेंगे||  

विश्व ऑटिज्म(स्वपरायण) जागरूकता

संयुक्त राष्ट्र महासभा  ने 18 दिसम्बर 2007  को  विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस 2 अप्रेल को मनाने की घोषणा की थी | 

2 अप्रेल को विश्व भर में विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस जाता है जिसका उद्देश्य  ऑटिज्म (स्वलीनता ) से प्रभावित बच्चों तथा बड़ों के जीवन में सुधार के कदम उठाये जा सकते है |

नीला रंग ऑटिज्म का प्रतीक माना जाता है यह बीमारी या स्थिति महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों में अधिक पायी  जाती है |

भारत सरकार ने ऑटिज्म ,प्रमस्तिक घात ,मानसिक मंदता और बहु-दिव्यांगता व्यक्तियों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय न्यास अधिनियम-1999 बनाया था | 

जिस पर महामहिम राष्ट्रपति महोदय द्वारा 30 दिसम्बर 1999 को हस्ताक्षर किये गए |


राष्ट्रीय न्यास अधिनियम के अनुसार ऑटिज्म की परिभाषा :-

     

“स्वपरायणता “(ऑटिज्म )का अर्थ है असमान निपुणता की स्थिति जो मनुष्य की संचार –व्यवहार और सामाजिक योग्यताओं को प्रभावित करती है | और बारंबारता मूलक और विधिवादी व्यवहार से चिन्हित होती है |


दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के अनुसार ऑटिज्म की परिभाषा:-

       

“स्वपरायणता स्पेक्ट्रम विकार से एक ऐसी तंत्रिका विकास की स्थिति अभिप्रेत है जो विशिष्टत: जीवन के पहले तीन वर्ष में उत्पन्न होती है जो व्यक्ति की संपर्क करने की ,सम्बन्धों को समझने की और दूसरों से संबंधित होने की क्षमता को अत्यधिक प्रभावित करती है | 

और आम तौर पर यह अप्रायिक या घिसे पिटे कर्मकांडों या व्यवहार से सह सम्बन्ध होता है “

 

अमेरिकन दिव्यांगता अधिनियम (1990) के अनुसार :-


ऑटिज्म एक विकासात्मक दिव्यांगता है जो मुख्य रूप से शाब्दिक –अशाब्दिक सम्प्रेषण एवं सामाजिक अंत:क्रिया को प्रभावित करता है | सामान्य रूप से यह घटना 3  वर्ष की उम्र के पूर्व शुरू हो जाती है | जो बालक के शैक्षिक निष्पादन को प्रभावित करती है |

 

ऑटिज्म के सामान्य लक्षण :-


·       हम उम्र के बालकों के साथ नहीं खेलता |

·       आवाज देने पर प्रतिक्रिया नहीं देता |

·       अपना ध्यान अधिक व्यस्त रखता है |

·       वस्तुओं को शरीर के किसी अंग या त्वचा से रगड़ता है |

·       नजरें नहीं मिलाता |

·       किसी क्रिया में कम समय तक ध्यान देता है |

·       सुनी हुई बात को दोहराता रहता है |

·       कंठ से विचित्र आवाज करता है |

·       प्रकाश के प्रति संवेदनशील होता है |

·       सामाजिक कौशलों में कमी पाई जाती है |

·       प्राथमिक देख भाल करने वाले व्यक्ति से जुड़े रहते है |

·       व्यवहार बहुत बुरा (नखरे वाला ) हो जाता है |

·       क्रियाओं को बार –बार दोहराना |

·       पुनरावृति पेशीय क्रियाएँ

·       संवेदी अनुभूतियाँ ( वस्तुओं को सूंघना ,ध्वनी को पसंद करना )

·       गंभीर भावनात्मक कमी का पाया जाना|

·       भाषा संबधी कमी

·       संवेगात्मक अस्थिरता


ऑटिज्म के कारण:- 


अभी तक ऑटिज्म  का कोई स्पष्ट  एवं सुनिश्चित कारण का पता नहीं चला है |

·       अनुवांशिकता

·       मस्तिष्कीय संरचना में विकृति /मस्तिष्क के रसायनों में असामान्यता

·       विषाणुओं का संक्रमण

·       जन्म से पहले बच्चे का पूर्ण विकास नहीं हो पाना


ऑटिज्म बालकों की मदद के तरीके :-


ऐसे बालकों एवं व्यक्ति के उपचार एवं प्रबंधन में एक साथ कई विधियों पर एक साथ कार्य किया जाता है |

·       समस्यात्मक व्यवहारों को दूर करने का प्रयास करना |

·       शैक्षणिक हस्तक्षेप – भाषा व सम्प्रेषण विकास पर जोर देना |

·       विशेष शिक्षक की सेवा लेना |

·       अवांछनीय व्यवहारों को दूर करने का प्रयास करना |

·       अभिभावक को उचित परामर्श देना |

·       सामाजिक कौशल प्रशिक्षण देना |

·       मनो चिकत्सक की सलाह लेना |



नोट

विभिन्न शोध व लेख पत्रों में अनेक व्यवहार बताये गए है | जब बहुत सारे व्यवहार एक साथ पाए जाने पर ही ऑटिज्म होने की शंका पैदा होती है |


नीला रंग अपनाओ, ऑटिज्म दिवस मनाओ




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